एक समय था जब खेलों के प्रति जागरूकता का अभाव देखने को मिलता था, पढ़ लिख कर नौकरी पा जाना ही एक मात्र मकसद था। समय बदला खेलों को स्वास्थ्य से जोड़ कर देखा जाने लगा। लेकिन वक्त के साथ ट्रेंड बदला, खेलों का व्यावसायिकरण हुआ, देश के खिलाड़ी विश्व पटल पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाने में कामयाब हुए, सरकारों एवं अन्य संगठनों द्वारा खिलाड़ियों को सुविधा उपलब्ध कराई जाने लगी, प्रतिभाओं का सम्मान किया गया, लोगों में बच्चों के भविष्य को लेकर एक विश्वास आया जिसने खेलों में एक क्रान्तिकारी परिवर्तन को जन्म दिया, नतीजतन हम अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेक पदक जीतने लगे। केन्द्र एवं राज्य सरकारों द्वारा खिलाड़ियों को अच्छी नोकरियों का दिया जाना जिससे उनका भविष्य सुरक्षित हो और जीवन यापन सुचारू रूप से चल सके एक सराहनीय कदम है। जहां एक तरफ सामान्य अभ्यर्थियों द्वारा सरकारी नौकरी पाना मुश्किल है वहीं दूसरी ओर खेलों को आधार बनाकर सरकार, सेना, पुलिस व अर्द्धसैनिक बलों में नोकरी पाना आसान हुआ है।
एक प्रशिक्षक होने के नाते मेरा अभिभावकों से अपील है कि वे अपने बच्चों को किसी भी एक खेल से अवशय जोड़ें क्योंकि खेलों की हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका है जिससे हमें अनुशासन, एक अच्छा रणनीतिकार एवं निर्णायक बनने में भी मदद मिलती है और टीम स्पिरिट की भी भावना के साथ लक्ष्य प्राप्त करने में सफलता प्राप्त होती है।
चन्द्र शेखर, राइफल शूटिंग, प्रशिक्षक जयपुर, राजस्थान।